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क्या आपको मालूम है कि एक दिन में, माफ कीजिए एक घंटे में विश्व में कितने बच्चे जन्म लेते हैं. चलिए रहने दीजिए पर क्या आपको मालूम है कि आप जिस पृथ्वी पर रहते हैं उसकी आबादी कितनी है? पृथ्वी की कुल आबादी इस समय 7 अरब से भी ज्यादा है. पृथ्वी का 70% प्रतिशत हिस्सा पानी से घिरा है और बाकी जमीन पर इंसानों की इतनी संख्या संसाधनों की खपत को दिन ब दिन बढ़ाए जा रही है.
11 जुलाई, 1987 में ही विश्व की जनसंख्या 5 अरब हुई थी, तब से इस विशेष दिन को विश्व जनसंख्या दिवस घोषित कर हर साल एक याद और परिवार नियोजन का संकल्प लेने के दिन के रुप में याद किया जाने लगा. आज विश्व जनसंख्या दिवस है. हर राष्ट्र में इस दिन का विशेष महत्व है क्यूंकि आज दुनियां के हर विकासशील और विकसित दोनों तरह के देश जनसंख्या विस्फोट से चिंतित हैं. विकासशील देश अपनी आबादी और जनसंख्या के बीच तालमेल बैठाने में मथ्थापच्ची कर रहे हैं तो विकसित देश पलायन और रोजगार की चाह में बाहर से आकर रहने वाले शरणार्थियों की वजह से परेशान हैं.
विश्व की कुल आबादी का आधा या कहें इससे ज्यादा हिस्सा एशियाई देशों में है. चीन, भारत और अन्य एशियाई देशों में शिक्षा और जागरुकता की वजह से जनसंख्या विस्फोट के गंभीर खतरे साफ दिखाई देने लगे हैं. आलम यह है कि अगर भारत ने अपनी जनसंख्या वृद्धि दर पर रोक नहीं लगाई तो वह 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा. इस समय भारत की आबादी 1.17 अरब है. यहां हर एक मिनट में 25 बच्चे पैदा होते हैं. यह आंकड़ा वह है जो बच्चे अस्पतालों में जन्म लेते हैं. अभी इसमें गांवों और कस्बों के घरों में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या नहीं जुड़ी है. एक मिनट में 25 बच्चों का जन्म यह साफ करता है कि आज चाहे भारत कितना भी प्रगति कर रहा हो या शिक्षित होने का दावा करता हो पर जमीनी हकीकत में अब भी उसमें जागरुकता नाम मात्र की है.
जागरुकता के नाम पर भारत में कई कार्यक्रम चलाए गए, ‘हम दो हमारे दो का नारा’ लगाया गया लेकिन लोग ‘हम दो हमारे दो’ का बोर्ड तो दीवार पर लगा देख लेते हैं लेकिन घर जाकर उसे बिलकुल भूल जाते हैं और तीसरे की तैयारी में जुट जाते हैं. भारत में गरीबी, शिक्षा की कमी और बेरोजगारी ऐसे अहम कारक हैं जिनकी वजह से जनसंख्या का यह विस्फोट प्रतिदिन होता जा रहा है.
आज जनसंख्या विस्फोट का आतंक इस कदर छा चुका है कि ‘हम दो हमारे दो’ का नारा भी अब बेमानी लगता है इसलिए भारत सरकार ने नया नारा दिया है “छोटा परिवार, संपूर्ण परिवार.” छोटे परिवार के कई फायदे हैं बच्चों को अच्छी परवरिश मिलती है, अच्छी शिक्षा से एक बच्चा दो बच्चों के बराबर कमा सकता है. बच्चे और मां का स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है जिससे दवाइयों का अतिरिक्त खर्चा बचता है. यह तो मात्र दो ऐसे फायदे हैं जो एक छोटे परिवार में होते हैं. ऐसे ही ना जानें कितने फायदे छोटे परिवारों के होते हैं. जागरुक बनिए और संपूर्ण परिवार को चुनिए.
आइए संकल्प लें कि हम अपने और आसपास के लोगों में यह जागरुकता फैलाएंगे कि वह भी छोटा परिवार चुनें और देश के विकास में भागीदार बनें. सरकार तो जागरुकता फैलाने की कोशिश कर ही रही है पर उससे ज्यादा आपकी बात आपके आसपास के लोगों में जागरुकता फैलाएगी.
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