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बांसुरी भारत में प्रेम और स्वर को मिलाने वाले वाद्य यंत्र के रुप में जानी जाती है. बांसुरी की मधुर ध्वनि किसी को भी मंत्रमुग्ध करने के लिए पर्याप्त होती है. बांसुरी की मनमोहक ध्वनि के लिए उसे बजाने वाला भी आदर्श होना चाहिए. भारत में कई महान बांसुरी वादक हुए हैं जिनमें से एक हैं पंडित हरिप्रसाद चौरसिया. पद्म भूषण से सम्मानित पंडित हरिप्रसाद का लगाव संगीत से वैसा ही है जैसा इंसान का उसके साए के साथ.
देश के जाने-माने बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया (Pandit Hariprasad Chaurasia) का जन्म 1 जुलाई, 1938 को इलाहाबाद (Allahabad) में हुआ था. इनके पिता पहलवान (Wrestler) थे. अपने पिता की मर्जी के बिना ही पंडित हरिप्रसाद (Pandit Rajaram) जी ने संगीत (Music) सीखना शुरु कर दिया था. वह अपने पिता के साथ अखाड़े में तो जाते थे लेकिन कभी भी उनका लगाव कुश्ती की तरफ नहीं रहा. अपने पड़ोसी पंडित राजाराम से उन्होंने संगीत की बारीकियां सीखीं. इसके बाद बांसुरी (Flute) सीखने के लिए वह वाराणसी के पंडित भोलानाथ प्रसाना (Pandit Bholanath Prasanna) के पास गए. संगीत सीखने के बाद उन्होंने काफी समय ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) के साथ भी काम किया.
संगीत में उत्कृष्टता हासिल करने की खोज उन्हें बाबा अलाउद्दीन खां (Ustaad Allauddin Khan) की सुयोग्य पुत्री और शिष्या अन्नापूर्णा देवी (Shrimati Annapurna Devi) की शरण में ले गयी, जो उस समय एकांतवास कर रही थीं और सार्वजनिक रूप से वादन और गायन नहीं करती थीं. अन्नपूर्णा देवी की शागिर्दी में उनकी प्रतिभा में और निखार आया और उनके संगीत को जादुई स्पर्श मिला. आज पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जब बांसुरी वादन करते हैं तो उनकी लयकारी और ताल बहुत ही अनूठी और विलक्षण होती है. हरिप्रसाद चौरसिया की पत्नी का नाम अनुराधा (Anuradha) और बेटे का नाम राजीव (Rajiv) है.
अपनी बेहतरीन बांसुरी वादन कला की वजह से उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई सम्मानों से सम्मानित भी किया गया. उन्हें 1984 में संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Academy) के पुरस्कार से और 1992 में पद्म भूषण (Padma Bhushan) से सम्मानित किया गया. साल 2000 में संगीत के क्षेत्र में विशेष सहयोग देने के लिए उन्हें पद्म विभूषण (Padma Vibhushan) से भी सम्मानित किया गया.
इसके साथ उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से भी नवाजा गया. बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया को फ्रांसीसी सरकार का ‘नाइट आफ दि आर्डर आफ आर्ट्स एंड लेटर्स’ (KNIGHT IN THE ORDER OF ARTS AND LETTER (“Ordres des Arts et Lettres”)) पुरस्कार और ब्रिटेन के शाही परिवार (Royal family of Britain) की तरफ से भी उन्हें सम्मान मिला है.
भारतीय बांसुरी वादन कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में पंडित जी की भूमिका प्रशंसनीय है. उम्मीद है कि आगे भी वह अपनी बांसुरी से दुनिया भर में देश का नाम रोशन करते रहेंगे.
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