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डॉक्टर धरती पर भगवान का दूसरा रुप होते हैं. भगवान तो हमें एक बार जीवन देता है पर डॉक्टर हमारे अमूल्य जान को बार-बार बचाता है. दुनियां में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां डॉक्टरों ने भगवान से भी बढ़कर काम किया है. बच्चे को जन्म देना हो या किसी वृद्ध को बचाना हो डॉक्टरों की मदद हमेशा हमें मुश्किल से बचाती है. यही एक पेशा है जहां दवा और दुआ का अनोखा संगम देखने को मिलता है, इंसान को भगवान भी यहीं बनाया जाता है.
डॉक्टरों ने मानव जाति के लिए बहुत समर्पण किया है. अगर भारत की बात की जाए तो हम देखेंगे कि यहां आज भी डॉक्टरों और वैद्यों का विशेष आदर-सत्कार होता है.
आधुनिक युग में तो डॉक्टरों की मांग और भी बढ़ गई है. डॉक्टर के इसी समर्पण और त्याग को याद करते हुए एक जुलाई का दिन भारत में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस(National Doctors’ Day) के रुप में मनाया जाता है.
इस खास मौके पर पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डा. बिधान चन्द्र रॉय (Bidhan Chandra Roy) को याद किया जाता है. बिधान चन्द्र रॉय एक स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter) होने के साथ साथ एक अच्छे डॉक्टर भी थे. विधान चन्द्र जी ने अपना सारा जीवन लोगों की भलाई में बिता दिया. 1 जुलाई, 1882 को बिहार (Bihar) में जन्मे डा. बिधान चन्द्र रॉय स्वतंत्रता संग्राम के एक अहम सिपाही रहे हैं. आजादी के बाद वह अपना सारा जीवन अपने प्रोफेशन यानि चिकित्सा सेवा को समर्पित कर दिया. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान उन्होंने कई अहम विकास कार्य किए. अपने अथक प्रयासों और समाज कल्याण के कार्यों के लिए उन्हें 1961 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” (Bharat Ratan) से सम्मानित किया गया. 01 जुलाई, 1962 को उनका निधन हो गया.
आज भी भारत में डा. बिधान चन्द्र रॉय (Bidhan Chandra Roy) की याद में एक जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस (National Doctor’s Day) के रुप में मनाया जाता है. आज कई लोग इस पवित्र पेशे को बदनाम करने में लगे हैं, नकली दवाइयों और झोला छाप डॉक्टरों की बढ़ती संख्या ने डॉक्टर के ओहदे को कम किया है. लेकिन आज भी डॉक्टरों का महत्व कम नहीं हुआ है. आने वाला समय डॉक्टरों से और समर्पण की उम्मीद करता है और साथ ही जनता को भी डॉक्टरों का सम्मान करना सीखना होगा.
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