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कामयाबी वही नहीं होती जो नजर आए कई बार लोग कामयाबी का मतलब आत्म-संतुष्टि को भी मानते हैं. दिल की तसल्ली और बिना किसी रोक-टोक के जिंदगी जीना भी एक मजा है. और ऐसी ही जिंदगी का सही उपयोग कर रही हैं अभिनेत्री किरण खेर. अनुपम खेर(Anupam Kher) की बीवी, हिन्दी और पंजाबी फिल्मों की एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री और वह सब कुछ जो एक इंसान को खुश रहने के लिए चाहिए, वह सब हासिल है किरन खेर को. कहते हैं हर सफल व्यक्ति के पीछे एक सफल महिला का हाथ होता है और यह किरण खेर(Kirron Kher) को देखकर साफ भी हो जाता है. अपने पति के साथ घर और फिल्मों, दोनों को उन्होंने समान स्थान दिया.
14 जून, 1955 को मुंबई के एक सिख परिवार में जन्मी किरण खेर ने अपनी पढ़ाई चडीगढ़ के पंजाब यूनिवर्सिटी(Panjab University, Chandigarh) से पूरी की. स्कूल के समय से ही वह पढ़ने-लिखने के साथ अन्य खेल और ड्रामा में आगे रहती थीं. उनकी बहन कंवल ठकर सिंह(Kanwal Thakar Singh) एक राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी हैं जिन्हें अजुर्न अवार्ड से सम्मानित किया गया है.
किरण खेर ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत 1983 में पंजाबी फिल्म(Punjabi Movie) “आसरा प्यार दा” से की. इस फिल्म में उनके अभिनय की सबने सराहना की. हालांकि इस फिल्म के बाद उन्हें ब्रेक लेना पड़ा क्यूंकि उनका उनके पहले पति से तलाक हो गया और उन्होंने पूरा ध्यान अपने बेटे सिकंदर खेर(Sikander Kher) पर लगाने का निर्णय किया. सिकंदर खेर भी एक अभिनेता हैं “जिन्होंने दिल चाहता है”, “खेले हम जी जान से” जैसी फिल्मों में अभिनय किया है.
1985 में उनका उनके पहले पति गौतम बैरी(Gautam Berry) से कानूनी तौर पर तलाक हो गया. इसी साल उन्होंने अभिनेता अनुपम खेर(Anupam Kher) से विवाह कर लिया. अनुपम खेर और किरण एक दूसरे को काफी पहले से जानते थे. पहली बार दोनों की मुलाकात 1974 में डिपार्टमेंट ऑफ इंडियन थियेटर में हुई थी. इसके बाद किरण खेर(Kirron Kher) ने शादी कर ली और अनुपम खेर ने नेशनल स्क्ऊल ऑफ ड्रामा में एडमिशन ले लिया.
और इसके बाद 1988 में उन्होंने फिल्मों में कुछ समय के लिए बतौर कॉस्ट्यूम डिजाइनर(Costume Designer) भी काम किया. इसके बाद किरण खेर ने श्याम बेनगल(Shyam Benegal) की “सरदारी बेगम” में काम किया. इस फिल्म के लिए उन्होंने नेशनल फिल्म अवार्ड(National Film Awards) का “स्पेशल ज्यूरी अवार्ड”( Special Jury Award) दिया गया.
साल 2000 में उन्होंने एक बंगाली फिल्म “बरीवाली”( Bariwali) में अभिनय किया जिसके लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिला पर फिल्म में उनके डायलॉग बोलने वाली अभिनेत्री रीता कॉरल (Rita Koiral) ने उनके इस खिताब पर अपना भी हक बताया जिसकी वजह से किरण खेर ने पुरस्कार लेने से ही मना कर दिया क्यूंकि उनका कहना था कि उन्होंने खुद डायलॉग बोलने के लिए घंटों मेहनत की है.
किरण खेर ने इसके बाद कई फिल्मों में दमदार अभिनय किया जिसमें “देवदास”, “खामोश पानी”, “मैं हूं ना”, “वीर-जारा”, “रंग दे बसंती” जैसी बड़ी और सफल फिल्में शामिल हैं. “रंग दे बसंती” में उनके दमदार अभिनय को देखते हुए उन्हें उनके कॅरियर का दूसरा फिल्मफेयर नॉमिनेशन मिला. यह नॉमिनेशन उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री के खिताब के लिए मिला.
साड़ियों और गहनों से विशेष प्रेम रखने वाली किरण खेर अक्सर फिल्मों में अपने ही गहनें और साडियों को पहनती हैं. फिल्मों के साथ सामाजिक कार्यों और टीवी शो में किरण खेर हमेशा नजर आ ही जाती हैं.
पुरस्कार
1997 में किरण खेर को “सरदारी बेगम” के लिए नेशनल फिल्म समारोह में “स्पेशल ज्यूरी अवार्ड” दिया गया. इसके बाद 2000 में “बारीवाली”( Bariwali) के लिए उन्हे सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल हुआ. 2003 में “कालीदास” के लिए उन्हें आइफा का सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का खिताब भी मिला.
महत्वपूर्ण फिल्में
“देवदास”, “खामोश पानी”, “मैं हू ना”, “वीर-जारा”, “रंग दे बसंती”, “कुर्बान”, “ओम शांति ओम”, “दोस्ताना”, “कभी अलविदा ना कहना”, “फना”, “हम-तुम” आदि.
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