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कौन था मौत और आतंक का पर्याय ओसामा बिन लादेन- Osama Bin Laden’s Profile

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) की 01 मई, 2011 को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में मृत्यु हो गई. अब इसे महज एक संयोग कहें या विधि का खेल कि लादेन और हिटलर की मौत लगभग एक ही दिन हुई. कहा जाता है कि 30 अप्रैल, 1945 को हिटलर ने खुदकुशी की थी और 01 मई, 2011 को यह खबर आई कि अलकायदा (Al-Qaida) सरगना ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में मार गिराया गया है.


) को अलकायद सरगना और अमेरिका का दुश्मन नंबर एक बनने में बहुत समय लगा.


) का पूरा नाम ओसामा बिन मोहम्मद बिन अवाद बिन लादेन था (Osama binbin Awad bin Laden Mohammed ) . मोहम्मद बिन अवाद बिन लादेन एक बड़े व्यापारी थे. उनके अरब के शाही परिवार से करीबी रिश्ते भी थे. ओसामा अपने पिता की दसवीं पत्नी हमीदा का अकेला बेटा था. ओसामा के जन्म के लेने के कुछ समय बाद ही उसके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए थे. उसके बाद ओसामा की मां ने दूसरी शादी कर ली और ओसामा अपने तीन सौतेले भाई और एक सौतेली बहन के साथ रहने लगा.


करीब आठ साल तक उसने ईलीट सेकुलर अल-थागर मॉडल स्कूल में पढ़ाई की और उसके बाद उसने इकनॉमिक्स और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई किंग अब्दुलअजीज यूनिवर्सिटी से की. कहा जाता है कि ओसामा का पढ़ाई में मन नहीं लगता था और इसीलिए उसने कॉलेज की पढ़ाई पूरी नही की. ओसामा को जिहाद में विश्वास होने लगा और वह कुरान और अन्य इस्लामिक किताबों को पढ़ने लगा.


ओसामा ने 17 साल की उम्र में पहली शादी सीरिया की एक लड़की से की जो उसकी रिश्तेदारी में से ही थी. एक खबर के मुताबिक ओसामा बिन लादेन की चार बीबियां और 25 या 26 बच्चे हैं.


बिन लादेन की कुछ मुस्लिमों ने हमेशा तारीफ की क्योंकि वह अमेरिका तथा अरब सरकारों के खिलाफ जेहाद के उसके विचारों के समर्थक थे. बिन लादेन अमेरिका और अरब सरकारों को ‘काफिर’ मानता था.


Biggest Attack on America1979 में अफगानिस्तान में सोवियत रूस के हमले के बाद ओसामा पाकिस्तान चला गया. लेकिन इससे पहले उसने रूसी सेना के खिलाफ मिशन के लिए खासा पैसा जमा किया. 1990 में इराक कुवैत युद्ध के वक्त अमेरिकी सेना की सऊदी अरब में मौजूदगी का ओसामा बिन लादेन ने विरोध किया. उसका मानना था कि मुस्लिम जगत अमेरिका के फैलाए अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का शिकार है. उसने अमेरिका के खिलाफ जिहाद का एलान किया. इसके लिए अरबों डॉलर खर्च किए गए. हजारों लड़ाकों को तैयार किया गया और दुनियाभर में आतंकवादी हमले किए गए.


1979 में  युवा बिन लादेन मुजाहिदीन नाम से पहचाने जाने वाले लड़ाकों की मदद के लिए अफगानिस्तान गया. लादेन एक गुट का मुख्य आर्थिक मददगार बन गया, जो बाद में अलकायदा कहलाया. और 1989 में अफगानिस्तान में सोवियत संघ के हटने के बाद लादेन परिवार की निर्माण कंपनी के लिए काम करने के उद्देश्य से सऊदी अरब लौट गया. यहां उसने अफगान युद्ध में मदद के उद्देश्य से अपने साथियों से कोष जुटाना शुरू कर दिया. सरकार विरोधी गतिविधियों के चलते उसे सऊदी अरब से निष्कासित कर दिया गया. सऊदी अरब ने उसकी और उसके परिवार की नागरिकता को वापस ले लिया. उसने सूडान में शरण ली.


सबसे पहले ओसामा बिन लादेन का नाम तब सामने आया था जब 1993 में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हुए बम धमाके के साथ अल कायदा ने आतंकवादी हमलों की शुरुआत की थी. इस हमले में छह लोग मारे गए थे. अमेरिका के खिलाफ इस्लामिक आतंकवाद का यह पहला हमला था. सऊदी अरब में 1995 और 1996 में अमेरिकी ठिकानों पर हुए हमलों के मामले में ओसामा बिन लादेन का नाम काफी फैल गया.


कहा जाता है कि नैरोबी और तंजानिया के दार ए सलाम में अमेरिकी दूतावासों के बाहर बम विस्फोट कराने में भी ओसामा बिन लादेन का ही हाथ था जिसमें करीब 224 लोगों की मौत हुई थी.


1998 में अमेरिका की एक अदालत ने दूतावासों पर बमबारी के आरोप में लादेन को दोषी ठहराया. उसके सिर पर 50 लाख डॉलर का इनाम रखा गया.


लेकिन दुनिया भर में आतंक के तौर पर अपनी खूंखार इमेज बनाने का कारनामा ओसामा ने साल 2001 में किया जब ओसामा ने व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टॉवर्स और पेंटागन पर हमला किया जिसमें 3,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.


ऐसा माना जाता था कि ओसामा बिन लादेन के पास अथाह संपत्ति थी  और उसने अफगानिस्तान में तालिबानी अभियान को संरक्षण दे रखा था. उसने अमेरिका के खिलाफ पवित्र युद्ध और अमेरीकियों और यहूदियों को मारने का आह्वान किया था.


इस्लामिक ट्रेनिंग सेंटरों की स्थापना में सहयोग देने का भी ओसामा पर शक है. इनकी मदद से चेचेन्या और पूर्व सोवियत संघ के कई हिस्सों में लड़ाई के लिए योद्धा तैयार किए जाते हैं. कहा जाता है कि ओसामा के आसपास कोई तीन हज़ार लड़ाकों की फ़ौज होती थी.


लेकिन एक बात ऐसी भी है जो ओसामा को आतंकवादी बनाने में अमेरिका का ही हाथ दर्शाती है और वह है ओसामा को सीआईए द्वारा दी गई ट्रेनिंग. कई जानकार मानते हैं कि डर के इस रुप ने अमेरिका से ही ट्रेनिंग ली थी. अफ़ग़ानिस्तान में ओसामा ने मक्तब-अल-ख़िदमत की स्थापना की, जिसमें दुनिया भर से लोगों की भर्ती की गई और सोवियत फ़ौजों से लड़ने के लिए उपकरणों का आयात किया गया.


धर्म का तिरस्कार करने वाली एक विचारधारा के खिलाफ लड़ाई में अफ़गानी मुस्लिम भाइयों का साथ देने के लिए मिस्त्र, लेबनान और तुर्की से हज़ारों लोग बिन लादेन के साथ आ गए. ओसामा बिन लादेन के ग्रुप को अरब अफ़गान के नाम से जाना जाने लगा था.


सोवियत सेना के लौट जाने के बाद अरब अफ़गान अमेरिका और मध्य पूर्व में उसके सहयोगियों के खिलाफ जुट गए. ओसामा से मिलने वाले लोगों के मुताबिक वह बहुत कम बोलने वाला, शर्मीला किस्म का इंसान था. उसकी तीन पत्नियाँ हैं. अमेरिका अधिकारियों को हमेशा यही लगता रहा कि ओसामा अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर कहीं छिपा है. हालाकि पाकिस्तान इसका खंडन करता रहा, लेकिन अब उसकी मौत पाकिस्तान में ही हुई है. ऐसे में पाकिस्तान की भी पोल खुल गई है. अमेरिका ने ओसामा के ठिकाने के बारे में जानकारी देने वाले को ढ़ाई करोड़ डॉलर का इनाम देने की घोषणा कर रखी थी.


ओसामा बिन लादेन ने अमेरिकी फौजियों को कई बार चकमा दिया. अमेरिकी सेना जब भी ओसामा के मरने की घोषणा करती तभी ओसामा अपना कोई टेप जारी कर दुनिया को दिखा देता कि आतंक को हराना इतना आसान नहीं है. लेकिन अगर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा दिए गए वक्तव्य पर यकीन करें तो 01 मई, 2011 को ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में मार गिराया गया है.


ओसामा बिन लादेन धर्म के नाम पर आतंक फैलाने के लिए बरसों तक याद किया जाएगा लेकिन इसके साथ ही वह अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है कि क्या वाकई हालात किसी इंसान को इतना बुरा बना सकते हैं कि वह पूरी इंसानियत के लिए खतरा बन जाए.



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