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विश्व विरासत दिवस (World Heritage Day)

Special Days
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बीता हुआ कल यूं तो वापस नहीं आता लेकिन अतीत के पन्नों को हमारी विरासत के तौर पर कहीं पुस्तकों तो कहीं इमारतों के रुप में संजो कर रखा गया है. हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए निशानी के तौर पर तमाम तरह के मकबरे, मस्जिद, मंदिर और अन्य चीजों का सहारा लिया जिनसे हम उन्हें आने वाले समय में याद रख सकें. लेकिन वक्त की मार के आगे कई बार उनकी यादों को बहुत नुकसान हुआ. किताबों, इमारतों और अन्य किसी रुप में सहेज कर रखी गई यादों को पहले हमने भी नजरअंदाज कर दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारी अनमोल विरासत हमसे दूर होती गई.


लेकिन वक्त रहते हमने अपनी भूल को पहचान लिया और अपनी विरासत को संभालने की दिशा में कार्य करना शुरु कर दिया. पुरानी हो चुकी जर्जर इमारतों की मरम्मत की जाने लगी, उजाड़ भवनों और महलों को पर्यटन स्थल बना उनकी चमक को बिखेरा गया, किताबों और स्मृति चिह्नों को संग्रहालय में जगह दी गई. पर विरासत को संभालकर रखना इतना आसान नहीं है. हम एक तरफ तो इन पुराने इमारतों को बचाने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ हम उन्हीं इमारतों के ऊपर अपने नाम लिखकर उन्हें गंदा भी करते हैं. अपने पूर्वजों की दी हुई अनमोल वस्तु को संजो कर रखने की बजाय उसे खराब कर देते हैं.


विश्व विरासत दिवस का इतिहास (History of World Heritage Day)


World Heritage Dayहमारे पूर्वजों और पुराने समय की यादों को संजोकर रखने वाले इन अनमोल वस्तुओं की कीमत को ध्यान में रखकर ही संयुक्त राष्ट्र की संस्था युनेस्को (UNESCO) ने वर्ष 1983 से हर साल 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाने की शुरुआत की थी. इससे पहले हर साल 18 अप्रैल को विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस (“International Monuments and Sites Day”) के रुप में मनाया जाता था. पर युनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) ने हमारे पूर्वजों की दी हुई विरासत को अनमोल मानते हुए इस दिवस को विश्व विरासत दिवस में बदल दिया.


कैसे मनाएं विश्व विरासत दिवस (How to celebrate the World Heritage Day)

  • अपने घर के आसपास के किसी पुरातत्व स्थल या भवन पर जाएं जहां एंट्री फीस ना हो और अगर हो भी तब भी वहां अवश्य घूमें.

  • अपने बच्चों को इतिहास के बारे में बताएं और किसी स्थल, किले, मकबरे या जगह पर ले जाकर वहां के बारे में रोचक तथ्य बताएं जिससे आने वाली पीढ़ी भी हमारी संस्कृति और इतिहास से परिचित हो सके.

  • सरकार को इस दिन किसी विशेष स्थान या व्यक्तित्व का जो भी ऐतिहासिक विरासत के तौर पर देखा जा सके उसके संदर्भ में डाक टिकट जारी करने चाहिए.

  • पुरातत्व स्थलों पर गंदगी फैलाने वालों में जागरुकता फैलानी चाहिए ताकि वह ऐसा ना करें.

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