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सदाबहार नगमों का अंदाज – महेंद्र कपूर

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“नील गगन के तले, धरती का प्यार पले”

कभी प्यार के नगमे तो कभी देश भक्ति का जोश, सिनेमा के पर्दे पर मनोज की आवाज कहलाने वाले महेंद्र कपूर के नग्मों से भारतीय सिनेमा जगत हमेशा जगमगाता रहेगा.

mahendra-kapoor6663महेंद्र कपूर का जन्म 9 जनवरी 1934 को अमृतसर में हुआ था लेकिन बाल्यावस्था में ही वह मुंबई आ गए थे. बचपन से ही महेंद्र कपूर मोहम्मद रफ़ी से बहुत प्रभावित थे और उनकी दिली ख्वाहिश थी कि वह हिंदी फिल्मों में गाना गाएं. शुरुआत में महेंद्र कपूर ने शास्त्रीय संगीत की तालीम ली. महेंद्र कपूर के जीवन में मोड़ तब आया जब उन्होंने मेट्रो मर्फी आल इंडिया गायन प्रतियोगिता जीती जिससे उनको वी. शांताराम की फिल्म नवरंग में गाने को मिला. इस फिल्म में उन्होंने “’आधा है चंद्रमा रात आधी’” गीत गाया. इसके बाद उन्होंने मनोज कुमार और बी. आर. चोपड़ा के बैनर तले बनी अधिकतर फिल्मों में गाया.

एक समय महेंद्र कपूर की आवाज “भारत की जीवंत आवाज” कहलाती थी. देशभक्ति गीतों का ख्याल आते ही सबसे पहला ख्याल उनका ही आता था. लेकिन ‘चलो एक बार फिर से’, ‘किसी पत्थर की मूरत से’ उनके गानों में विविधता दर्शाते हैं. इसके अलावा वह पहले भारतीय गायक थे जिसने कोई इंग्लिश गाना रिकॉर्ड किया था. यही नहीं महेंद्र कपूर ने लगभग सभी भाषाओं में 25,000 से भी ज़्यादा गाने गाए हैं.

1968 में उपकार फिल्म के गाने “’मेरे देश की धरती गाने’ के लिए उनको राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था. इसके अलावा 1964, 1968 और 1975 में उनको फिल्मफेयर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था. इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें लता मंगेशकर पुरस्कार से भी सम्मानित किया था.

28 सितंबर 2008 को 74 वर्ष की उम्र में महेंद्र कपूर का निधन हो गया लेकिन आज भी उनके सदाबहार नगमें कानों में मिश्री घोलते हैं.

महेन्द्र कपूर की ज्योतिषीय विवरणिका देखने के लिए यहां क्लिक करें.

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