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23 दिसम्बर बेशक विश्व के लिए उतना महत्व न रखता हो लेकिन भारत के लिए यह तारीख बहुत अहम होता है. किसान मसीहा एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन की याद में 23 दिसम्बर को किसान दिवस के रुप में मनाया जाता है.
पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को किसानों के अभूतपूर्व विकास के लिए याद किया जाता है. चौधरी चरण सिंह की नीति किसानों व गरीबों को ऊपर उठाने की थी. उन्होंने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की कि बगैर किसानों को खुशहाल किए देश व प्रदेश का विकास नहीं हो सकता. चौधरी चरण सिंह स्वतंत्र भारत के पांचवें प्रधानमंत्री के रूप में 28 जुलाई, 1979 को पद पर आसीन हुए. यह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस(ओ) के सहयोग से देश के प्रधानमंत्री बने.
उत्तर प्रदेश के किसान चरण सिंह को अपना मसीहा मानने लगे थे. उन्होंने समस्त उत्तर प्रदेश में भ्रमण करते हुए कृषकों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया. उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाक़ों में कृषि मुख्य व्यवसाय था. कृषकों में सम्मान होने के कारण इन्हें किसी भी चुनाव में हार का मुख नहीं देखना पड़ा.
चौधरी चरण सिंह राजनीति में स्वच्छ छवि रखने वाले इंसान थे. वह अपने समकालीन लोगों के समान गांधीवादी विचारधारा में यक़ीन रखते थे. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गांधी टोपी को कई बड़े नेताओं ने त्याग दिया था लेकिन चौधरी चरण सिंह इसे जीवन पर्यन्त धारण किए रहे. लोगों का मानना था कि चरण सिंह से राजनीतिक ग़लतियां हो सकती हैं लेकिन चारित्रिक रूप से उन्होंने कभी कोई ग़लती नहीं की. उनमें देश के प्रति वफ़ादारी का भाव था. वह कृषकों के सच्चे शुभचिन्तक थे. इतिहास में इनका नाम प्रधानमंत्री से ज़्यादा एक किसान नेता के रूप में जाना जाएगा.
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