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मुहर्रम इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है. इस माह की कई विशेषताएं और महत्व हैं. इस्लामी यानि हिजरी वर्ष का पहला माह मुहर्रम है. हिजरी वर्ष की शुरुआत इसी माह से होती है. मुस्लिम धर्म को मानने वाले साल भर अनेक त्योहार मनाते हैं. मुस्लिम धर्म के त्योहारों के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि यह त्योहार चंद्र कैलेंडर एवं हिजरी पर आधारित होते हैं, न कि ग्रेगेरियन कैलेंडर पर. मुहर्रम मुस्लिम कैलेंडर का पहला माह होता है. इस महीने को इस्लाम धर्म के चार पवित्र महीनों में शामिल किया जाता है. खुदा के दूत हजरत मुहम्मद ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है. इस माह मनाया जाने वाला मोर्हरम का त्योहार माह के पहले दिन से शुरू होकर दसवें दिन तक चलता है.
सन् 680 में इसी माह में कर्बला नामक स्थान मे एक धर्म युद्ध हुआ था, जो पैगम्बर हजरत मुहम्मद के नाती तथा अधर्मी यजीद (पुत्र माविया पुत्र अबुसुफियान पुत्र उमेय्या)के बीच हुआ. इस धर्म युद्ध में वास्तविक जीत हज़रत इमाम हुसैन की हुई. परे जाहिरी तौर पर यजीद ने हज़रत इमाम हुसैन और उनके सभी 72 साथियों को शहीद कर दिया था, जिसमें उनके छः महीने की उम्र के पुत्र हज़रत अली असग़र भी शामिल थे. और तभी से तमाम दुनिया के ना सिर्फ़ मुसलमान बल्कि दूसरी क़ौमों के लोग भी इस महीने में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का ग़म मनाकर उनकी याद करते हैं.
इस मास में रोजा रखने की खास अहमियत है. रमजान के अलावा सबसे उत्तम रोजे वे हैं, जो अल्लाह के महीने यानी मुहर्रम में रखे जाते हैं. मुहर्रम की 9 तारीख को की जाने वाली इबादतों का भी बड़ा सवाब बताया गया है. हजरत मुहम्मद के साथी इब्ने अब्बास के मुताबिक हजरत मुहम्मद ने कहा कि जिसने मुहर्रम की 9 तारीख का रोजा रखा, उसके दो साल के गुनाह माफ हो जाते हैं तथा मुहर्रम के एक रोजे का सवाब 30 रोजों के बराबर मिलता है. इस बार मुहर्रम का त्यौहार 17 दिसम्बर को है .
यह त्यौहार मूलतः हमें शान्ति और सौहार्द बनाने की शिक्षा देता है साथ ही यह दर्शाता है कि हमें समाज में अच्छाई को बनाए रखने के लिए प्राणों की भी परवाह नहीं करनी चाहिए.
मुहर्रम का यह पाक त्यौहार आप सबको मुबारक
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