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आज 1 दिसम्बर को पूरे विश्व में एड्स दिवस मनाया जाएगा. एड्स एक ऐसी भयानक बीमारी है जो इंसान को जीते जी मार देती है. असुरक्षित यौन संबंधों, दोषपूर्ण रक्त बदलने या अन्य कारकों से होने वाला यह रोग आज अपने भयानक रुप में पहुंच चुका है. विश्व भर में कई लोग इस भंवरे के डंक से अपनी जान गवा चुके हैं.
अस्सी के दशक से शुरु हुआ यह युद्ध आज भी जारी है. हालत बदले, समय बदला लेकिन नहीं बदली तो मरीजों की बढ़ती संख्या की गिनती. आज इतने सुरक्षा और रोकथाम के बावजूद एड्स का प्रभाव क्षेत्र बढ़ता ही जा रहा है.
हां, कुछ बदला है तो वह है समाज की नजर. पहले लोग इस बीमारी के बारे में सुनकर सिहर जाते थे. पहले दुनिया इस भयावह बीमारी से पीड़ित मरीजों के निराशाजनक अंत को निरीह होकर देख रही थी. लेकिन जब लोगों की निगाहें एड्स के मरीज़ की आंखों में मौत का खौफ देख कर सिहर उठीं और उनके दर्द में उन्होंने खुद को महसूस किया तभी उन्होंने निराशाजनक अंत को, अंतहीन आशा में बदलने के लिए एड्स दिवस की शुरुआत की.
आज एड्स से हम सभी परिचित हैं. लेकिन फिर भी समाज में इसे लेकर कई मिथक बने हुए हैं. आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ आसान बातों को जिनसे कइयों की जान बच सकती है और हम और आप इस भंवरे के डंक से बचे रह सकते हैं.
क्या है एड्स
एड्स एच.आई.वी.(HIV) नामक विषाणु से होता है. एच.आई.वी. पॉजिटिव व्यक्ति कई वर्षों (6 से 10 वर्ष) तक सामान्य प्रतीत होता है और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है, लेकिन दूसरों को बीमारी फैलाने में सक्षम होता है.
यह विषाणु मुख्यतः शरीर को बाहरी रोगों से सुरक्षा प्रदान करने वाले रक्त में मौजूद टी कोशिकाओं (सेल्स) व मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है और धीरे-धीरे उन्हें नष्ट करता रहता है. कुछ वर्षो बाद (6 से 10 वर्ष) यह स्थिति हो जाती है कि शरीर आम रोगों के कीटाणुओं से अपना बचाव नहीं कर पाता और तरह-तरह के संक्रमण (इन्फेक्शन) से ग्रसित होने लगता है, इस अवस्था को एड्स कहते हैं.
एड्स यौन के लक्षण
लम्बे समय तक बुखार, सिरदर्द, थकान, हैजा, भूख न लगना, लसिकाओं में सूजन आना. एड्स के मुख्य लक्षणों में तेजी से वजन कम होना, सूखी खांसी, सोते समय पसीना आना, एक हफ्ते से अधिक दस्त, भूलने की आदत, मुँह, पलकों के नीचे या नाक में लाल, भूरे, गुलाबी धब्बे पड़ना.
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण आयोग के अनुसार भारत में यह रोग असुरक्षित यौन संबंधों से अधिक फैल रहा है. दुनिया भर में चार करोड़ से अधिक लोग एचआइवी से पीड़ित हैं.
कैसे फैलता है एड्स
* एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध से.
* एच.आई.वी. संक्रमित सिरिंज व सूई का दूसरों के द्वारा प्रयोग करने से.
* एच.आई.वी. संक्रमित मां से शिशु को जन्म से पूर्व, प्रसव के समय या प्रसव के शीघ्र बाद.
* एच.आई.वी. संक्रमित अंग प्रत्यारोपण से.
* एक बार एच.आई.वी विषाणु से संक्रमित होने का अर्थ है- जीवनभर का संक्रमण एवं दर्दनाक मृत्यु.
एड्स से बचाव
* जीवन-साथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध नहीं रखें.
* असुरक्षित यौन संबंध के दौरान् निरोध(कण्डोम) का प्रयोग करें.
* मादक औषधियों के आदी व्यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सूई का प्रयोग न करें.
* एड्स पीड़ित महिलाएं गर्भधारण न करें, क्योंकि उनसे पैदा होने वाले शिशु को यह रोग लग सकता है.
* रक्त की आवश्यकता होने पर अनजान व्यक्ति का रक्त न लें, और सुरक्षित रक्त के लिए एच.आई.वी. जांच किया रक्त ही ग्रहण करें.
* डिस्पोजेबल सिरिन्ज एवं सूई तथा अन्य चिकित्सकीय उपकरणों को 20 मिनट पानी में उबालकर जीवाणुरहित करके ही उपयोग में लावें, तथा दूसरे व्यक्ति का प्रयोग में लिया हुआ ब्लेड/पत्ती काम में ना लावें.
एड्स निम्न तरीकों से नहीं फैलता है
एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ सामान्य संबंधो से, जैसे हाथ मिलाने, एक साथ भोजन करने, एक ही घड़े का पानी पीने, एक ही बिस्तर और कपड़ों के प्रयोग, एक ही कमरे अथवा घर में रहने, एक ही शौचालय, स्नानघर प्रयोग में लेने से, बच्चों के साथ खेलने से यह रोग नहीं फैलता है. मच्छरों/खटमलों के काटने से यह रोग नहीं फैलता है.
एच.आई.वी की जांच कहां कराएं
यह जांच सभी सरकारी अस्पतालों में स्थित स्वैच्छिक जांच एवं परामर्श केन्द्रों में होती है.
यह सरल जांच मात्र दस रुपये में की जाती है. जांच के साथ मुफ्त सलाह भी दी जाती है. जांच के परिणाम बिल्कुल गोपनीय रखे जाते हैं.
निम्न लोगों को एच.आई.वी की जांच अवश्य करानी चाहिए
* सूई से ड्रग लेने वाले लोग
* एक से ज्यादा साथी के साथ यौन संबंध बनाने वाले लोग
* व्यावसायिक यौनकर्मी
* जिन्हें यौन संक्रमित बीमारी हो
* एच.आई.वी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध रखने वाले
* एड्स संबंधित बीमारी के लक्षण देखने पर
एच.आई.वी के साथ भी लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं. कई बार तो इंसान को कई वर्षों तक मालूम ही नहीं चलता कि उसे एड्स है. हालांकि ऐसा होने की स्थिति में वह अपने जोखिम भरे व्यवहार से दूसरों को संक्रमण दे सकते हैं.
एच.आई.वी एवं एड्स से बचने के कुछ बहुत ही सरल उपाय हैं. जैसे शादी से पहले यौन संबंध न बनाएं. अपने जीवन-साथी के प्रति वफादार रहें. यानी यौन संबंध सिर्फ पति-पत्नी के बीच हों.
आज भारत में एड्स बहुत तेजी से अपने पांव पसार रहा है. ऐसे में सिर्फ एक दिन एड्स दिवस मना कर हम इस खतरे से दूर नहीं रह सकते हैं बल्कि हमें हर दिन को एड्स दिवस की तरह मनाना होगा और सबसे जरुरी है एड्स पीडितों को घृणा की दृष्टि से देखने की बजाय उन्हें सम्मान और जीने की ताकत दें.
आज एड्स दिवस के मौके पर हम सभी उन लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने इस भयावह बीमारी से अपना दम तोड़ दिया.
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